हैदराबाद : जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर आतंक की घटना बढ़ती जा रही है. गुरुवार को आतंकियों ने श्रीनगर के ईदगाह इलाके के गवर्नमेंट बॉयज हायर सेकेंडरी स्कूल में दो शिक्षकों को गोली मार दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टीचर्स की मीटिंग के दौरान आतंकी प्रिंसिपल के कमरे में घुस आए. दहशतगर्दों ने पहले मुस्लिम टीचर्स को अलग कर दिया और गैर मुसलमान दो शिक्षकों को गोली मार दी. हमले में प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चांद की मौत हो गई. सुपिंदर सिक्ख समुदाय की थीं और दीपक चंद कश्मीरी पंडित थे.
अचानक बढ़ गए हमले, लगातार ले रहे हैं अल्पसंख्यकों की जान
इससे पहले मंगलवार शाम आतंकियों ने केमिस्ट पंडित माखन लाल बिंदरू की गोली मारकर हत्या कर दी थी. बिंदरू लंबे समय से श्रीनगर में लोगों की सेवा कर रहे थे. आतंक के बुरे दौर में भी कभी उन्हें निशाना नहीं बनाया गया. एक्सपर्ट मानते हैं कि घाटी के प्रसिद्ध फर्मासिस्ट माखनलाल बिंदुरू की हत्या कर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों को खुले तौर पर घरवापसी नहीं करने की चेतावनी दी है. मंगलवार को ही दहशतगर्दों ने लाल बाजार इलाके में पानीपुरी बेचने वाले वीरेंद्र पासवान की हत्या कर दी थी. वीरेंद्र बिहार के भागलपुर के रहने वाले थे. इसके अलावा बांदीपोरा के शाहगुंड इलाके में नायदखाई निवासी मोहम्मद शफी लोन को भी मार डाला था.
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#WATCH He was an awesome person who served Kashmir&Kashmiriyat. His body is gone but his spirit is still alive. Person responsible for the crime has opened doors of hell for himself:Shraddha Bindroo, daughter of pharmacist ML Bindroo who was killed by terrorists in Srinagar y'day pic.twitter.com/FEjNcDpVr2
— ANI (@ANI) October 6, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) October 6, 2021#WATCH He was an awesome person who served Kashmir&Kashmiriyat. His body is gone but his spirit is still alive. Person responsible for the crime has opened doors of hell for himself:Shraddha Bindroo, daughter of pharmacist ML Bindroo who was killed by terrorists in Srinagar y'day pic.twitter.com/FEjNcDpVr2
— ANI (@ANI) October 6, 2021
2019 में अनुच्छेद- 370 हटने के बाद से ही आतंकी हमलों में कमी देखी गई थी. मगर हाल में हुई घटनाओं से यह अंदेशा जताया जा रहा है कि आतंकी जम्मू-कश्मीर में 1990 जैसे हालात पैदा करने की साजिश कर रहे हैं, इसलिए अल्पसंख्यक कश्मीरी ब्राह्मण और सिक्खों को निशाना बनाया जा रहा है. गौरतलब है कि अनुच्छेद- 370 हटाने का बाद केंद्र सरकार कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के प्रयास कर रही है. इसके तहत उनकी संपत्तियों पर किए गए कब्जों को भी हटाया जा रहा है.
कश्मीरी पंडितों के घरवापसी को लग सकता है धक्का
जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने हमले के पीछे पाकिस्तान की एजेंसियों का हाथ बताया है. उन्होंने कहा कि ये हमले कश्मीरी मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश है और पाकिस्तान की एजेंसियों के निर्देश पर किए जा रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह ने कहा है कि घाटी में अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने के पीछे आतंकियों का मकसद डर का माहौल बनाकर सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ना है. माना जा रहा है कि अगर ऐसी घटनाओं पर काबू नहीं पाया गया तो कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के लिए की जा रही कोशिशों को झटका लग सकता है.
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The targetted terror attacks on innocents are part of an attempt to disturb communal harmony here. All efforts will be made to ensure that (terrorists') attempts don't succeed: Jammu and Kashmir LG Manoj Sinha on recent terror attacks in Kashmir pic.twitter.com/gunBEUBKoI
— ANI (@ANI) October 7, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) October 7, 2021The targetted terror attacks on innocents are part of an attempt to disturb communal harmony here. All efforts will be made to ensure that (terrorists') attempts don't succeed: Jammu and Kashmir LG Manoj Sinha on recent terror attacks in Kashmir pic.twitter.com/gunBEUBKoI
— ANI (@ANI) October 7, 2021
कश्मीरी पंडितों के मंदिर भी आतंकियों ने की थी तोड़फोड़
शिक्षकों की हत्या की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट ( TRF) ने ली है. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई किसी भी हालात में कश्मीरी पंडितों की घरवापसी अभियान को सफल नहीं होने देना चाहती है. आईएसआई ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और द रजिस्टेंस फ्रंट को अल्पसंख्यक सिक्ख और कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है. इसका मकसद कश्मीर में 90 के दशक वाला भय पैदा करना है.
आतंकवादियों ने 3 अक्टूबर को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के मट्टन में स्थित कश्मीरी पंडितों की कुल देवी मां भार्गशिखा के मंदिर में भी तोड़-फोड़ की थी. आतंकियों ने देवी की प्रतीक शिला को खंडित कर दिया और मंदिर में आग लगाने की कोशिश की थी. यह हमला भी घाटी में सामान्य होते हालात को फिर सुलगाने की साजिश ही थी.
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Jammu and Kashmir: Kashmiri Pandits staged a demonstration against the killing of civilians in Kashmir and demanded security for minorities, in Muthi area of Jammu pic.twitter.com/ti2szRjWlN
— ANI (@ANI) October 7, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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जैश और हिजबुल का नया आतंकी चेहरा है टीआरएफ
90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (Jammu Kashmir Liberation Front) का सबसे बड़ा हाथ था. तब आईएसआई ने अलगाववादी नेता यासीन मलिक और फारूख अहमद डार को इसका चेहरा बनाया. केंद्र में राजनीतिक अस्थिरता के कारण इन नेताओं को स्थानीय स्तर पर भी राजनीतिक संरक्षण मिला. 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद आईएसआई ने द रेसिस्टेंट फ्रंट (TRF) बनाया है. जेकेएलएफ और टीआरएफ में समानता यह है कि इस दोनों संगठनों का नाम इस्लामिक नहीं है. मगर पुलिस का मानना है कि टीआरएफ मूल रूप से लश्कर और कभी-कभी हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद जैसे अन्य संगठनों का नया चेहरा है. टीआरएफ ने अक्टूबर 2020 में तिरंगा यात्रा के दौरान बीजेपी के 3 कार्यकर्ताओं की हत्या की जिम्मेदारी ली थी.